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Showing posts from September, 2020

जस्टिफाई

आज इस लेख पर मैं एक लड़के को tag करना चाहता हूँ लेकिन शायद वो fb पर नहीं है, उसी लड़के को इसलिए क्योंकि कुछ साल पहले एक शाम को हम हॉस्टल की छत पर बैठकर बातें कर रहे थे,विषय था rape जिसकी परिभाषा शायद हमें इतना पता है 'कीसी के साथ जबरदस्ती शारिरिक संबंध बनाना'। वो लड़का rape को जस्टिफाई करने की कोशिस कर रहा था उसका कुतर्क था कि "लड़कियों को छोटे कपड़े नहीं पहनने चाहिए, टाइट कपड़े नही पहनने चाहिए लड़के उत्तेजित हो जाते है"। मेरा तर्क था कि "इस हिसाब से फिर जो लड़किया बुर्का पहनती हैं या फिर जो 6-7 महीने की होती हैं उनके साथ rape होना ही नहीं चाहिए"? या फिर इसी लॉजिक से अगर कोई व्यक्ति बहुत सारे पैसे लेकर जा रहा है तब उसे लूटने वाले को भी जस्टिफाई किया जा सकता हैं कि इसमें लुटेरे की क्या गलती हो सकती है वो व्यक्ति जो इतने पैसे लेकर जा रहा है उसकी गलती है? उसका इस सवाल पर भी कुतर्क था " ज्यादातर rape केस fake होते हैं" ok होते होंगें,लेकिन ऐसे कितने cases हैं जो कभी बाहर ही नहीं आते,जिनकी fir तक रिपोर्ट नही होती! और मैरिटल rape जिसे सोसाइटी rape ही नहीं मान...

दो चेहरे

 कभी-कभी हम इतना भर जाते हैं कि हमें आगे बढ़ने और भीगने से बचने के लिए खुद को थोड़ा उड़ेलना पड़ता है, कभी किसी पन्ने पर, कभी किसी की गोद में सिर रखकर। हम सबके दो चेहरे होते हैं, मेरे भी दो चेहरे हैं,एक वो जो तुम्हे ज्यादातर दिखाई देता है एक वो जब हम सिर्फ एक रात बिताने के लिए मिलते हैं, कभी कभी हमें यकीन नहीं होता कि हमारे दो चेहरे है,क्योंकि हमें सिर्फ वो दिखाई देता है जो हम दिखाना चाहते हैं, और जब हम अपने दूसरे चेहरे में होते हैं तब हमें कुछ दिखाई नहीं देता, अक्सर जब हम दूसरे चेहरे में होते है तभी होते है कुछ हादसे।  कभी कभी अपना होश खो देते हैं जब हमारा दूसरा चेहरा हम पर हावी हो जाता है,हम वो कर देते हैं जिसे करने के बाद हमें दुख होता है और हम यकीन नहीं कर पाते कि ये हमने किया है,शायद उस वक्त वो करना जरूरी भी होता हो?  शायद उतना नही जितना हम कर देते हैं ?  लेकिन तब तक हादसा हो चुका होता है जब तक हम सोंचते है कि शायद ये बहुत ज्यादा हो गया इतना नही करना चाहिए था, शायद उस लम्हें को बदला जा सकता था ,शायद हादसा रोका जा सकता था। कभी-कभी खुद से नफरत होने लगती है,...