कभी-कभी हम इतना भर जाते हैं कि हमें आगे बढ़ने और भीगने से बचने के लिए खुद को थोड़ा उड़ेलना पड़ता है, कभी किसी पन्ने पर, कभी किसी की गोद में सिर रखकर।
हम सबके दो चेहरे होते हैं, मेरे भी दो चेहरे हैं,एक वो जो तुम्हे ज्यादातर दिखाई देता है एक वो जब हम सिर्फ एक रात बिताने के लिए मिलते हैं, कभी कभी हमें यकीन नहीं होता कि हमारे दो चेहरे है,क्योंकि हमें सिर्फ वो दिखाई देता है जो हम दिखाना चाहते हैं, और जब हम अपने दूसरे चेहरे में होते हैं तब हमें कुछ दिखाई नहीं देता, अक्सर जब हम दूसरे चेहरे में होते है तभी होते है कुछ हादसे।
कभी कभी अपना होश खो देते हैं जब हमारा दूसरा चेहरा हम पर हावी हो जाता है,हम वो कर देते हैं जिसे करने के बाद हमें दुख होता है और हम यकीन नहीं कर पाते कि ये हमने किया है,शायद उस वक्त वो करना जरूरी भी होता हो?
शायद उतना नही जितना हम कर देते हैं ?
लेकिन तब तक हादसा हो चुका होता है जब तक हम सोंचते है कि शायद ये बहुत ज्यादा हो गया इतना नही करना चाहिए था, शायद उस लम्हें को बदला जा सकता था ,शायद हादसा रोका जा सकता था। कभी-कभी खुद से नफरत होने लगती है,और बहुत कुछ बदल चुका होता है। अंदर कुछ टूट जाता है जो फिर कभी जुड़ता नहीं।
कभी-कभी ईश्वर के वजूद से भी भरोसा उठ जाता है,शायद हि कोई ईश्वर होता है अगर होता तो शायद हम इतना मजबूर नहीं होते? अगर ईश्वर होता तो शायद ऐसा नही होता? ईश्वर होता तो शायद हम दोनों में इतना फर्क नहीं होता ? शायद हम इतना दूर नहीं होते?
दुनिया भी दो तरह की होती होंगी एक मेरी एक तुम्हारी और ऐसी ही कितनी दुनियां होंगी हर दुनिया का अलग-अलग ईश्वर शायद यहि सबसे बड़ी कमी है इस दुनिया की हमारे ईश्वर अलग हैं हमने बांटा हुआ है इस दुनियां को ।
एक अच्छी बात ये है कि हम उम्मीद कर सकते हैं एक ऐसी दुनिया की जिसका एक ईश्वर होगा और जो कभी हमें इस तरह मजबूर नही करेगा,और हम उतार फेंकेंगे वो दूसरा चेहरा जो शायद तुम्हे पसंद नहीं हम अब सिर्फ एक रात के लिए नही मिला करेंगे हम अब उस सुबह के लिए मिला करेंगे जहाँ हम एक बालकनी में चाय के प्याले के साथ बैठे हों।
हम अब कुछ दिन मिलेंगे नही जब तक हमारी दुनिया हमारा ईश्वर एक न हो जाए और तुम फिर एक बार उस सुकून और उम्मीद से भर जाओ की जो होगा अब अच्छा होगा।
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