बहुत दिनों से मैं कुछ लिखना चाह रहा था,लेकिन कुछ लिख नहीं पा रहा था,क्योंकि कुछ लिखने के लिए अंदर कुछ उथल-पुथल होना जरूरी है,ऊपर तक भरा हुआ होना जरूरी है! ऐसा नहीं है कि मेरी जिंदगी में सब सुकून है या फिर सब परेशानियां हि हैं! मेरी जिंदगी में भी हार,दुख,सुकून,निराशा, उम्मीद और डर सब है जो हर किसी की जिंदगी में किसी न किसी मोड़ पर होते हैं, लेकिन मैं इन सबका आदि हो गया हूँ,कभी कभी मुझे बहुत ही घुटन होती है, कभी-कभी खुद को उस मैन एक्सिस पर महसूस करता हूँ जहाँ न दुख है ना सुकून,बिल्कुल शून्य जैसे कुछ महसूस होना बंद हो गया है। मैं बीच में नहीं रहना चाहता बस मैं अपनी जगह बदलना चाहता हूं। एक अजीब खालीपन रहता है जो कभी भरता नहीं,और मैं उस खालीपन को लिख नहीं पा रहा हूँ और ना हि समझ पा रहा हूं! मैं बहुत कोशिस करता हूँ लेकिन हर रोज वही कहानी होती है,कुछ नहीं बदलता। पिछले कुछ महीनों से मैं कभी-कभी डरने लगता हूँ,मैं वो वजह नहीं बता सकता लेकिन मैं एक पैनिक अटैक से गुजरा हूँ, जिस वजह से मैं कई रात सो नहीं पाया था,तुम्हारी वजह से मैं काफि दिनों के बाद सुकून से सो पाया। ये डर मुझे आज भी परे...